Monday, April 18, 2011

Shrihanumajjayanti ki shubhkamnayein!



Shrihanumajjayanti ki haardik shubhkamnayein! Prabhu Hanuman aapko aatmik shakti dein!!

भविष्य का सुख छिपा है ईश्वर के भजन में

जो लोग बहुत तनाव में काम करते हैं, उनके लिए भजन बड़े उपयोगी हैं। भजन सुनना और गाना उन्हें थोड़ा आराम पहुंचाएगा। हनुमानचालीसा की 33वीं चौपाई में तुलसीदासजी ने लिखा है- तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।

आपके भजन से प्राणियों को जन्म-जन्म के दुखों से छुटकारा दिलाने वाले भगवान श्रीराम की प्राप्ति हो जाती है। यहां यह बात आती है कि हनुमानजी के भजन रामजी को अच्छे क्यों लगते हैं? वास्तव में हनुमानजी संगीत के बहुत बड़े जानकार थे। सबसे बड़ी विशेषता थी कि कौन-सा भजन कब गाया जाए, कौन-सा राग कब लगाया जाए, इसमें वे बड़े दक्ष थे। तुलसीदासजी ने इस चौपाई में भजन शब्द लिखकर एक बड़ा संदेश दिया है। हनुमानजी सेवा का प्रतीक हैं। वे सतत् सक्रिय सेवक हैं।

श्रीराम की सेना और व्यवस्था में संभवत: सर्वाधिक दायित्व हनुमानजी को ही सौंपे गए थे। इसीलिए तुलसीदासजी ने भजन शब्द का उपयोग किया है। भजन गाए भी जाते हैं, गुनगुनाए भी जाते हैं और ठीक से संगीत जुड़ जाए तो इसमें नृत्य भी हो जाता है। व्यस्तता और काम के अत्यधिक दबाव के बाद भी हनुमानजी भजन से जुड़े हुए थे। हनुमानजी की भजन करने की शैली, मस्ती यदि हम भी अपनाएं तो केवल इस जन्म के नहीं, आने वाले जन्मों के भी दुख मिटेंगे। दुख हमारी एक समस्या है और जनम-जनम का अर्थ है आने वाला नया दिन। भविष्य का सुख भजन में छिपा है।

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